Thursday, February 12, 2009

प्रेम (१)

बेहद उदास थीं तुम
मेरी उदासी को लेकर
मैं था उदास
तुम्हारी इस उदासी पर।

और यों;
हम दोनों ही
ख़ुश थे!

1 comment:

एक स्वतन्त्र नागरिक said...

सरल शब्दों में छिपे गहरे भाव.
यदि मीडिया और ब्लॉग जगत में अन्ना हजारे के समाचारों की एकरसता से ऊब गए हों तो कृपया मन को झकझोरने वाले मौलिक, विचारोत्तेजक आलेख हेतु पढ़ें
अन्ना हजारे के बहाने ...... आत्म मंथन http://sachin-why-bharat-ratna.blogspot.com/2011/08/blog-post_24.html