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प्रो. हरिमोहन शर्मा की कविताएँ
Thursday, February 12, 2009
प्रेम (४)
फूलों के रंग
हवा में उड़ रहे हैं
टहल रही है
भीगी घास पर
नंगे पाँव ख़ुश्बू।
आओ!
स्वागत है, पर
चुपचाप।
शब्दों का घर है मेरा
और एक नटखट बच्ची
अभी-अभी सोई है
नींद के पेड़ के नीचे!
1 comment:
Dr. Zakir Ali Rajnish
said...
अरे वाह, बहुत खूब।
चिराग जी, हरिमोहन जी की इन सुंदर रचनाओं को पढवाने का शुक्रिया।
July 27, 2011 at 1:35 AM
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चिराग जैन CHIRAG JAIN
harimohan
1 comment:
अरे वाह, बहुत खूब।
चिराग जी, हरिमोहन जी की इन सुंदर रचनाओं को पढवाने का शुक्रिया।
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